Vivek Deshwal
Emotion
Wednesday, May 18, 2016
ऐ मेरे चारागर में वो बीमार हू जिसको झूटी मसरत नही चाहिये. मिल गई नबी की गुलामी मुझे अब जमाने की दौलत नही चाहिये,जुफ्तज़ू वो जो यादे नबी मे कटे मौत वो जो जाके मदीना मे मिले जिसपे हो मौला का इतना क़रम उसे और कोई बादशाहत नही चाहिये….
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