Wednesday, August 10, 2016

तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है ये उठे सुबह चले, ये झुके शाम ढले मेरा जीना, मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले पलकों की गलियों में चेहरे बहारों के हंसते हुए है मेरे ख़्वाबों के क्या-क्या नगर इनमें बसते हुए ये उठे सुबह... इनमें मेरे आने वाले ज़माने की तस्वीर है चाहत के काजल से लिखी हुई मेरी तकदीर है ये उठे सुबह...


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