Friday, August 11, 2017

मुफलिसी

ज़माने में नहीं है मुफलिसी के तलबगार...
छोड़ जाते है अपने भी बीच बाजार...
हो पास खज़ाना तो हो जाते सब खिदमतगार...
सोच कर करना अब ज़माने में ऐतबार...
ज़माने में नहीं...

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