मै भी क़र्ज़दार हूँ हुस्न वालों का...
बेचा है जिसको ज़माने ने बाजार में...
मै भी क़र्ज़दार हूँ...
वो खरीदते रहे और रौंदते रहे उन के जज़्बातो को...
और हम देखते रहे उनके हालातो को...
मै भी क़र्ज़दार हूँ...
वो देश की शान है मगर आज वो खुद से भी अंजान है...
मै भी क़र्ज़दार हूँ...
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