हम ने तो लूट के मोहब्बत की रिवायत रख ली...
उन से तो पुछिए वो किस लिए पछताते है...
आँसुओ तुम से तो पत्थर भी पिघल जाते है...
सुबह के निकले दीवाने अब कहाँ लौट के आते है...
उन से तो पुछिए वो किस लिए पछताते है...
आँसुओ तुम से तो पत्थर भी पिघल जाते है...
सुबह के निकले दीवाने अब कहाँ लौट के आते है...
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