Vivek Deshwal
Emotion
Thursday, December 14, 2017
मंज़िल-ए-इश्क़
मंज़िल-ए-इश्क़ पे तन्हा पहुँचे कोई तमन्ना साथ न थी...
ना पाया साथ उनका जब तमन्ना ऐ जिंदगी छूट गई...
हम फिरते रहे महफ़िल महफ़िल रुख़सते महफ़िल छूट गई...
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